आते-आते ही / राजकुमार कुंभज
आते-आते ही
यहाँ तक आ सकता है / विश्वास
कि आते-आते ही / आते हैं / पत्ते हरे
पीले / झर जाने के बाद
आते-आते ही / आएगा फल
टूटेगा तिलिस्म-राज सैनिकों का
कि आते-आते ही / आएंगी लड़कियाँ / निश्छल हँसी लिए
मेले में लेने चूड़ियाँ / घाघरा / खिलौने रंगीन
और / हवा गुब्बारे में / यहाँ तक
आते-आते ही
यहाँ तक आ सकता है / जमींदार
कि आते-आते ही / आते हैं / मोड़ मूँछों में
दिमाग़ में / पसर जाने के बाद
आते-आते ही / आएगा द्वार
कि होगा ख़त्म / भयानक निर्जन मैदान
आते-आते ही मुक्त हो आएगी मुक्ति / बदबू के भभके से
नींद में / दाख़िल होंगे / रंग / झरने / तितलियाँ
और / जीवन से भरी / आँखों तक
आते-आते ही
यहाँ तक आ सकता है / प्रेम
कि आते-आते ही / आते हैं / इरादे व्यस्क
अनजाने में / जाने के बाद
रचनाकाल :1990