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आत्मन् के गाए कुछ गीत (कहना) / प्रकाश
Kavita Kosh से
आत्मन् बहुत समय से कुछ कहना चाहता था
आत्मन् जन्मों से कहने से रुका हुआ था
हर जन्म में कहने को उसके कंठ काँपते
और जिह्वा फड़कती थी
उसको दृश्यमान सब दृश्य दिखते थे
उन दृश्यों में शामिल अन्य दृश्य
और अदृश्य दिखते थे
दृश्य में दृश्य से ज्योतित उसकी आँख में
पवित्र जल भर-भर आता था
झर-झर रोता
हर जन्म में असहाय आत्मन् चुप रह जाता था !