भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आत्मालिंगन / विज्ञान प्रकाश

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मौन समेटे, आंखें मूँदे
जैसे पत पर ओस की बूंदे,
नयनन में एक सपना जागा
हृदय कचोटे जान अभागा,
जाने वह कौन पल होगा
हिय में उठते मनुहारों को
प्रियतमा तुमसे कह पाऊँगा
तुमसे मिलने को आऊंगा,
जाने कौन विधि पाऊँगा
आलिंगन करबद्ध तुम्हारा
तेरा ये प्रेमी दुखियारा,
अंत समय में अजपा ओ सखी
नाम तुम्हारा दोहराउँगा
तुमसे मिलने को आऊंगा,
अपलक बतियाती अखियन से
कबतक बचता रह पाऊँगा
छूकर अधर तुम्हारे सजनी
वचनबद्ध मैं हो जाऊँगा।