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आदत हो जाता है प्यार / नंदकिशोर आचार्य


धीरे-धीरे एक आदत हो जाता है
प्यार
तब भी वह ताज़ा करता है
रोज़ाना के स्नान की तरह।

यह एक आदतन चुम्बन है
सोने से पूर्व
और हमारी ढलती देहों में
कितने नये सपने
खिल उठे हैं।

(1985)