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आदमक़द स्त्री / लीलाधर मंडलोई
Kavita Kosh से
इतनी बार गिरी
इतने आघात
इतनी बार हारी
इतनी चोटें
इतनी बार मृत्यु
इतने जीवन
हर बार वह उठ खड़ी हुई
एक नई स्त्री में
वह निराला की आदमक़द स्त्री