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आदमखोर दुःख / मुदित श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
दुनिया के किस हिस्से से आता है दुःख?
कहाँ से होती है दुःख की उत्पत्ति
वह सांप की तरह रेंगता हुआ
जहाँ से आता हैं,
वहाँ से एक लकीर खींचते चला आता है
राह में हर मिलने वाले को छूता हुआ,
नदी के बहने की विपरीत दिशा से
गाँवों को उजाड़ते हुए आता है,
पेड़ों के बढ़ने की दिशा से ठीक उल्टा
उनकी जड़ें बिखेरने को आता है,
पाँव तले की ज़मीन खिसकाने
नींव हिलाने और छत उड़ाने
खेतीहर ज़मीं को बंज़र बनाने आता है दुःख!
शायद इसीलिए
किसानों के भण्डारगृह दुःखों से भरे पड़ें हैं
दुःख उसका पूरा अनाज पहले ही खा चुका है
और अब दुःख आदमखोर हो चला है