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आदमी और औरत / रामकृष्‍ण पांडेय

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1.
एक आदमी है
उसकी एक औरत है
वह आदमी के हिसाब से चलती है
वह औरत उस आदमी की औरत है
एक औरत है
उसका एक आदमी है
वह उस औरत के हिसाब से चलता है
वह आदमी उस औरत का आदमी है
दोनों एक दूसरे के लिए हैं
दोनों एक दूसरे से हैं

2.
आदमी का आदमी होना
औरत पर निर्भर है
औरत का औरत होना
आदमी पर
फिर भी आदमी औरत को डराता है
औरत आदमी से डरती है
कभी-कभी, जब नहीं डरती है
तब आदमी औरत से डरता है

3.
मैं उस पहले आदमी को
जानता हूँ
जिसने उस पहली औरत से
प्रेम किया था
वह मेरे भीतर है
मैं उस पहली औरत को भी
जानता हूँ
जिसने उस पहले आदमी से
प्रेम किया था
वह तुम्हारे भीतर है

4.
हर आदमी
अपने मन में
गढ़ता रहता है एक औरत
गढ़ नहीं पाता है जीवन भर
पूरी होते ही टूट-टूट जाती है वह मूर्त्ति
उस औरत की
औरत चालाक होती है
वह अपने मन में
कभी नहीं गढ़ती है कोई आदमी
वह आदमी को
सीधे बसा लेती है अपने मन में

5.
आदमी
औरत को छूना चाहता है
औरत चाहती है
आदमी को पाना