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आदमी सच की राह गर होगा / ज्ञानेन्द्र मोहन 'ज्ञान'

आदमी सच की राह गर होगा।
फिर किसी बात का न डर होगा।

बात जायज़ कहो सलीक़े से,
क्यों नहीं बात का असर होगा।

मौत से डर मुझे नहीं लगता,
फिर शुरू इक नया सफ़र होगा।

दूर मैंने किया उसे खुद से,
जाके रोया वो रात भर होगा।

चाहतें आज भी उसी की हैं,
'ज्ञान' वो भी न बेखबर होगा।