भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आदमी / जयप्रकाश कर्दम

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सपने देखो
सपने सुनो, सपने बुनो
मुक्ति के, युक्ति के, प्रगति के
इंजीनियर, डॉक्टर
अफसर, प्रोफेसर
वकील, वैज्ञानिक
न्यायाधीश, दार्शनिक,
पायलेट, खिलाड़ी
एक्टिविस्ट, अभिनेता
मंत्री, प्रधानमंत्री बनने के
हर आंख में हो
कोई ना कोई सपना
सपनों को साकार करना
ध्येय बने तुम्हारी जिंदगी का
तुम्हें अधिकार है
सपने चुनने और बुनने का
जैसा तुम चाहो
तुम चाहे जो करो, चाहे जो बनो
आदमी जरूर बनना
आदमी को आदमी समझना।