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आदमी / मधुरिमा / महेन्द्र भटनागर
Kavita Kosh से
गोद पाकर, कौन जो सोया नहीं?
होश किसने प्यार में खोया नहीं?
आदमी, पर है वही जो दर्द को
प्राण में रख, एक पल रोया नहीं!