भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आधा सेर चाउर / अरविन्द श्रीवास्तव

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आधा सेर चाउर पका
बुढ़वा ने खाया — बुढ़िया ने खाया
लेंगरा ने खाया — बौकी ने खाया
कुतवा ने खाया चवर-चवर

आध सेर चाउर नहीं पका
बुढ़वा ने नहीं खाया, बुढ़िया ने नहीं खाया
रह गया लेंगरा भूखा, बौकी भूखी
कुतवा भूखा, बकरिया भूखी

जो गया था चाउर लाने
लौट कर नहीं आया आज तक !