भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आधुनिक घर / आत्मा रंजन

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आधुनिक घरों के पास नहीं हैं छज्जे
कि लावारिस कोई फुटपाथी बच्चा
बचा सके अपना भीगता सर
नहीं बची हैं इतनी भर जगह
कि कोई गौरैया जोड़ सके तिनके
सहेज परों की आंच
बसा सके अपना घर-संसार!