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आपका भी इंतजार है, मिलिए दयानतदारों से / सांवर दइया
Kavita Kosh से
आपका भी इंतजार है, मिलिए दयानतदारों से।
बड़े-बड़े काम हो जाते हैं बस उनके इशारों से।
जब उनसे मिलने निकले तो बहुत भारी लग रहे थे,
लौटे तो सदा को हलके थे हवा भरे गुब्बारों-से!
वातानुकूलित आवासों से लौटकर आये हैं वे,
उनकी आवाज नहीं खुलेगी पानी के गरारों से!
दवा लाने भेजा था, वे दावत में शरीक हो गये,
अब वे नहीं मिलेंगे अपनी बस्ती के बीमारों से!
उनके काम का आदमी कभी भी खाली नहीं लौटा,
जो मिलने गया, बरी हुआ छोटी-मोटी उधारों से!