भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आपका होना / समझदार किसिम के लोग / लालित्य ललित
Kavita Kosh से
मैं लिखता हूँ
इसलिए
कि
मुझे लिखना है
यदि
नहीं लिखूं
तो
क्या
होगा
कुछ नहीं
कोई दूसरा दिखेगा
और
मैं
वहीं दिखूंगा
शब्दों में
एहसास मेरा ही होगा
यदि
आपको लगे
कि
मैं आपके साथ हूँ
आपका हमदम हूँ
आपको समझता हूँ
तो
यही मेरी जीत है
जो
आपसे जुड़ी है
हमेशा
और
मुझे आपका साथ पसंद है
हमेशा