भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आपकी नज़रों में दिल है खो गया / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
आपकी नज़रों में दिल है खो गया।
देखते ही देखते क्या हो गया॥
आसमाँ में जब सुकूँ पाया नहीं
चाँद भी आ के जमी पर सो गया॥
था बहुत बेचैन पानी बिन शज़र
बादलों से दर्द अपना रो गया॥
चाँद में भी दाग़ जब आया नज़र
ओस ले जैसे सितारा धो गया॥
थीं थकी आँखें ग़मों के बोझ से
चश्मे नम में ख़्वाब कोई बो गया॥