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आपकी याद आती रही रात भर / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

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मख़दूम<ref>उर्दू के मशहूर कवि, जिन्होंने तेलंगाना आंदोलन में हिस्सा लिया था। उनकी ग़ज़ल से प्रेरित होकर ही ’फ़ैज़’ ने यह ग़ज़ल लिखी है</ref> की याद में-1

"आपकी याद आती रही रात-भर"
चाँदनी दिल दुखाती रही रात-भर

गाह जलती हुई, गाह बुझती हुई
शम-ए-ग़म झिलमिलाती रही रात-भर

कोई ख़ुशबू बदलती रही पैरहन<ref>वस्त्र</ref>
कोई तस्वीर गाती रही रात-भर

फिर सबा<ref>ठंडी हवा</ref> सायः-ए-शाख़े-गुल<ref>गुलाब की टहनी की छाया</ref> के तले
कोई क़िस्सा सुनाती रही रात-भर

जो न आया उसे कोई ज़ंजीरे-दर<ref>दरवाज़े कि साँकल</ref>
हर सदा पर बुलाती रही रात-भर

एक उमीद से दिल बहलता रहा
इक तमन्ना सताती रही रात-भर

मास्को, सितंबर, 1978

शब्दार्थ
<references/>