आपस मैं मिला के हाथ मुस्करा कर गाना गाने लगी / मेहर सिंह
वार्ता- रणबीर सैन अपने दोस्त चन्द्रदत्त को क्या बताता है
बहरे तबील
जैसे नाचै उर्वशी राजा इन्द्र की सभा मैं न्यू हंस हंस के ताली बजाने लगी।
आपस मैं मिला के हाथ मुस्करा कर गाना गाने लगी।
देवी ज्यूं रम्भा, ऐसा देख्या अचम्भा
चिकना जैसे केले का खम्भा
सूये की चोंच थी ना छोटा ना लम्बा
साबुन लगाकर तला बीच नहाने लगी।
मैं आजीज बनता रहा सिर धुनता रहा
वो गुनगुनाती रही और मैं गुनता रहा
वो कुछ कहती रही और मैं सुनता रहा
परी मेरा ही जिक्र चलाने लगी।
एक नहाती रही दुजी साबुन लगाती रही
एक लचक कै मेरी तरफ आती रही
अपने जोबन की झलक मुझको दिखाती रही
मुझे लुच्चा हरामी बताने लगी।
ईश्क की भर मारी गोली थी रत्न जड़ाऊ चोली
कहै मेहर सिंह बोली थी कोयल केसी बोली
याद आती है मुझ को वो सूरत भोली भोली
जादू पढ़ पढ़ कै फूलों को बगाने लगी।