भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आप उसे फ़ोन करें / बद्रीनारायण

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आप उसे फ़ोन करें
तो कोई ज़रूरी नहीं कि
उसका फ़ोन खाली हो
हो सकता है उस वक़्त
वह चांद से बतिया रही हो
या तारों को फ़ोन लगा रही हो

वह थोड़ा धीरे बोल रही है
सम्भव है इस वक़्त वह किसी भौंरे से
कह रही हो अपना संदेश
हो सकता है वह लम्बी, बहुत लम्बी बातों में
मशगूल हो
हो सकता है
एक कटा पेड़
कटने पर होने वाले अपने
दुखों का उससे कर रहा हो बयान

बाणों से विंधा पखेरू
मरने के पूर्व उससे अपनी अंतिम
बात कह रहा हो

आप फ़ोन करें तो हो सकता है
एक मोहक गीत आपको थोड़ी देर
चकमा दे और थोड़ी देर बाद
नेटवर्क बिजी बताने लगे
यह भी हो सकता है एक छली
उसके मोबाइल पर फेंक रहा हो
छल का पासा

पर यह भी हो सकता है कि एक फूल
उससे काँटे से होने वाली
अपनी रोज़-रोज़ की लड़ाई के
बारे में बतिया रहा हो
या कि रामगिरि पर्वत से
चल कोई हवा
उसके फ़ोन से होकर आ रही हो।
या कि चातक, चकवा, चकोर उसे
बार-बार फ़ोन कर रहे हों

यह भी सम्भव है कि
कोई गृहणी रोटी बनाते वक़्त भी
उससे बातें करने का लोभ संवरण
न कर पाए
और आपके फ़ोन से उसका फ़ोन टकराए
आपका फ़ोन कट जाए

हो सकता है उसका फ़ोन
आपसे ज़्यादा
उस बच्चे के लिए ज़रूरी हो
जो उसके साथ हँस-हँस
मलय नील में बदल जाना चाहता हो
वह गा रही हो किसी साहिल का गीत
या हो सकता है कोई साहिल उसके
फ़ोन पर गा रहा हो
उसके लिए प्रेमगीत

या कि कोई पपीहा
कर रहा हो उसके फ़ोन पर
पीउ-पीउ
आप फ़ोन करें तो कोई ज़रूरी
नहीं कि
उसका फ़ोन खाली हो।