आप कहीं नहीं गए हैं । जा ही नहीं सकते ।
यह आवाज़
बहुत सारे शोर में
यह आवाज़
आत्मा तक उतरती है
धारण करती है जड़ों को
वृन्त और फूलों को देती है जीवन ।
ये शब्द स्पन्दन हैं
दुख सरीखे भारी हल्के आनन्द की तरह
इनमें मेरी चिन्ताएँ हैं
इनके बिना कोई चीज़ नहीं बनती ।