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आप खुश हैं, कि तिलमिलाए हम / वीनस केसरी
Kavita Kosh से
आप खुश हैं, कि तिलमिलाए हम।
आपके कुछ तो काम आए हम।
खुद गलत, आपको ही माना सहीह,
जाने क्यों आपको न भाए हम।
आपके फैसले गलत कब थे,
और फिर, सब सगे, पराए हम।
दोस्तों ने भी कुछ कमी न रखी,
और खुद के भी हैं सताए हम।
हम पे इल्ज़ाम था मुहब्बत का,
पर खड़े क्यों थे सर झुकाए हम।
इल्मो-फन का लगा है इक बाज़ार,
लौटते हैं लुटे लुटाए हम।
शामियाने सी फितरतें अपनी,
उम्र भर धूप में नहाए हम।
नाम कम है, जियादा हैं बदनाम,
शाइरी तुझसे बाज़ आए हम।
पसे-आईना कोई है 'वीनस',
जिसको अब तक समझ न पाए हम।