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आबोदाना रहे, रहे, न रहे / बलबीर सिंह 'रंग'
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आबोदाना रहे, रहे, न रहे,
चहचहाना रहे, रहे, न रहे।
हमने गुलशन की ख़ैर माँगी है,
आशियाना रहे, रहे, न रहे।
आखि़री बार सोच ले सय्याद,
ये ज़मानारहे, रहे, न रहे।
शेखजी के मिज़ाज़ का क्या है,
सूफ़ियाना रहे, रहे न रहे।
‘रंग’ को अंजुमन से निस्वत है,
आना-जाना रहे, रहे, न रहे।