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आमार शोनार बांग्ला / रवीन्द्रनाथ ठाकुर

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आमार शोनार बांग्ला
आमार शोनार बांग्ला,
आमि तोमाए भालोबाशी.

चिरोदिन तोमार आकाश,
तोमार बताश,
अमार प्राने बजाए बाशी.

ओ माँ,
फागुने तोर अमेर बोने
घ्राने पागल कोरे,
मोरी हए, हए रे,
ओ माँ,
ओघ्राने तोर भोरा खेते
अमी कि देखेछी मोधुर हाशी.

की शोभा, की छाया गो,
की स्नेहो, की माया गो,
की अचोल बिछाइछो,
बोतेर मूले,
नोदिर कूले कूले!

माँ, तोर मुखेर बानी
आमार काने लागे,
शुधार मोतो,
मोरी हए, हए रे,
माँ, तोर बोदोनखानी मोलीन होले,
आमि नोयन जोले भाशी.

(हिन्दी अनुवाद):
मेरा प्रिय बंगाल
मेरा सोने जैसा बंगाल,
मैं तुमसे प्यार करता हूँ.

सदैव तुम्हारा आकाश,
तुम्हारी वायु
मेरे प्राणों में बाँसुरी सी बजाती है.

ओ माँ,
वसंत में आम्रकुंज से आती सुगंध
मुझे खुशी से पागल करती है,
वाह, क्या आनंद!
ओ माँ,
आषाढ़ में पूरी तरह से फूले धान के खेत,
मैने मधुर मुस्कान को फैलते देखा है.

क्या शोभा, क्या छाया,
क्या स्नेह, क्या माया!
क्या आँचल बिछाया है
बरगद तले
नदी किनारे किनारे!

माँ, तेरे मुख की वाणी,
मेरे कानो को,
अमृत लगती है,
वाह, क्या आनंद!
मेरी माँ, यदि उदासी तुम्हारे चेहरे पर आती है,
मेरे नयन भी आँसुओं से भर आते हैं.