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आया था चुनने को फूल यहाँ वन में / रवीन्द्रनाथ ठाकुर

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आया मैं चुनने को फूल यहाँ वन में
जाने था क्या मेरे मन में
यह तो, पर नहीं, फूल चुनना
जानूँ ना मन ने क्या शुरू किया बुनना
जल मेरी आँखों से छलका,
उमड़ उठा कुछ तो इस मन में ।


मूल बांगला से अनुवाद : प्रयाग शुक्ल