भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आया री लाड़ो सो तेरा बर आया / मगही
Kavita Kosh से
मगही लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
आया री लाड़ो सो तेरा बर<ref>दुलहा</ref> आया।
टीका<ref>मँगटीका</ref> लाया री लाड़ो, मोतिया लाया री।
आया री लाड़ो सो तेरा बर आया॥1॥
बेसर लाया री लाड़ो चुनिया<ref>माणिक या लाल का छोटा टुकड़ा, छोटा नग</ref> लाया री।
आया री लाड़ो सो तेरा बर आया॥
आया री लाड़ो सो तेरा बना आया॥2॥
बाली<ref>कान में पहनने का गोलाकार आभूषण</ref> लाया री लाड़ो, झुमका लाया री।
आया री लाड़ो सो तेरा बर आया॥3॥
कँगन लाया री लाड़ो पहुँची<ref>कलाई का एक आभूषण</ref> लाया री।
आया री लाड़ो सो तेरा बर आया॥4॥
सूहा<ref>विशेष प्रकार की छापेवाली साड़ी</ref> लाया री लाड़ो छापा<ref>छापेदार साड़ी</ref>
आया री लाड़ो सो तेरा बर आया॥5॥
शब्दार्थ
<references/>