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आयी तेरी शरण में, विनय करो स्वीकार / रंजना वर्मा
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आई तेरी शरण में, विनय करो स्वीकार ।
चरणों में माँ शारदा, विनती बारंबार।।
नयन नीर मसि से लिखूँ, माता तेरे गीत
बरसा दे आशीष माँ, दे अविरल उपहार।।
माँ तेरी करुणा भरी, पड़े भक्त पर दृष्टि
ज्ञानदान सबको मिले, कर दे कृपा उदार।।
शुभ्र वसन सिखला रहे, हमें सौम्यता पाठ
कर वीणा संगीत का, करती नित्य प्रसार।।
धन वैभव का अर्थ क्या, ज्ञान न दे यदि साथ
ज्ञान बुद्धि ही तो करें, भव-सागर से पार।।
केवल सीमित क्षेत्र में, ही धन का सम्मान
विश्ववन्द्य बन जाए जो, पाये करुणा सार।।
जड़ता हर लो बुद्धि की, पाऊँ अनुपम ज्ञान
चतुरानन मुख कमल में, करती नित्य विहार।।