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आयेगी ही वो थकान में / हरि फ़ैज़ाबादी
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आयेगी ही वो थकान में
जल की रानी थी उड़ान में
आसां होता तो हर कोई
सैर लगाता आसमान में
अक्सर दग़ा वही देते हैं
बसते हैं जो दिल-ओ-जान में
नाहक़ नहीं क़दम महलों के
पड़ते छप्पर के मकान में
खलनायक धन रहा हमेशा
महल-झोपड़ी के मिलान में
रिश्तेदार अमीर आये हैं
मुफ़लिस का घर इम्तहान में
अंधे को रोटी दो भाई
आटा मत दो उसे दान में
कुछ तो लिख लो, नामुमकिन है
रख पाना हर बात ध्यान में