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आवाज़ देके हमें तुम बुलाओ / हसरत जयपुरी
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आवाज़ देके हमें तुम बुलाओ
मोहब्बत में इतना ना हमको सताओ
अभी तो मेरी ज़िंदगी है परेशां
कहीं मर के हो खाक भी न परेशां
दिये की तरह से न हमको जलाओ
मोहब्बत में इतना ना हमको सताओ
मैं साँसों के हर तार में छुप रहा हूँ
मैं धड़कन के हर राग में बस रहा हूँ
ज़रा दिल की जानिब निगाहें झुकाओ
मोहब्बत में इतना ना हमको सताओ
ना होंगे अगर हम तो रोते रहोगे
सदा दिल का दामन भिगोते रहोगे
जो तुम पर मिटा हो उसे ना मिटाओ
मोहब्बत में इतना ना हमको सताओ
आवाज़ देके हमें तुम बुलाओ
मोहब्बत में इतना ना हमको सताओ
फ़िल्म : प्रोफ़ेसर (1962)