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आवै-कनी / सांवर दइया
Kavita Kosh से
रात तैं देख्यो चांद नै
बादळां री बाथां में
घड़ी-घड़ी
दिनूगै देखी
नीमड़ै री डाळां माथै
चिड़ै सूं चूंच मिलावती चिड़ी
अबै म्हैं ऊभो थारै सामैं
आवै-कनी बाथां में
कांई सोचै है खड़ी-खड़ी ?