चुप-चुप रह कर आंसू पीना, 
आसान न यह गम होता है। 
मिट-मिट करके जीते जाना, 
आसान न यह दम होता है॥  
बंधुआ बन-बन कर जीना, 
आसान न वो मन होता है। 
तप-तप कर कुछ बनते जाना,  
आसान न यह फ़न होता है॥ 
तन का बंधन,मन का क्रंदन, 
यह बोझ न कुछ कम होता है। 
कोल्हू के बैल सा चलते जाना, 
आसान न यह श्रम होता है॥  
सच्चाई पर चलते जाना , 
आसान न यह पथ होता है। 
उम्मीदों पर जीवित रहना, 
आसान न यह भ्रम होता है॥