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आहो रामा गंगा निर्मल नीर / अंगिका

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

तर्ज - समदन

आहो रामा गंगा निर्मल नीर से
आंगना निपाउलौं आंगना निपाउलौं-हीरा मोती चौका लगाय।
चौका चढ़ी बैठली शीतल दुलारी धिआ शीतल दुलारी हे
ढरॅ ढरॅ नैना ढरै लोर।
आहो रामा जनु कानोॅ जनु खीजोॅ शीतल दुलारी मैया
शीतल दुलारी हे
सभ्भे धिया जैती ससुराल
धिरजा बांधीये मैया धरूँ पग डगरिया हे
धरूँ पग डगरिया, करमो में लिखल वही तोरे।
चौका चढ़ी बैठली, मालत दुलारी धिया मालत दुलारी हे
ढरॅ ढरॅ नैना ढरै लोर, जनु कानोॅ जनु खीजोॅ मालत दुलारी मैया
सभ्भे धिया जाइती ससुरार,
आहो राम धीरिजा वानधिए मालत
धरूँ पग डगरिया करमा में लिखल यही तोर
आहो रामा गंगा निर्मल नीर से
आंगना निपाउलौं आंगना निपाउलौं हीरा मोती चौका लगाय।
चौका चढ़ि बैइठली फूलसर दुलारी बेटी फूलसर दुलारी हे।
ढर ढर नेना ढरै लोर।
आहो रामा जनु कानो जनु खीजोॅ
फूलसर धिया जाइती ससुरार।
आहो राम धीरिजा वानधिए फूलसर
धरूँ पग डगरिया करमा में लिखल यही तोर
आहो रामा गंगा निर्मल नीर से
आंगना निपाउलौं आंगना निपाउलौं हीरा मोती चौका लगाय।