आ, सवाल चुगें, धूपाएं.....आ !
    दीवारों पर आ बैठी
    यादों की सीलन
नीचे से ऊपर तक
        रंग खरोंचे
    कुतर न जाए
माटी का मरमरी कलेजा
आ, सवाल चुगें, धूपाएं.....आ !
    आँख लगाए है
    पिछवाड़े पर सन्नाटा
जोड़-जोड़ पर नेज़े खोभे
    सेंधन लग जाए
    हरफ़ों के घर में
आ, फ़सीलों से गूंजें.....पहराएं !
आ, सवाल चुगें, धूपाएं.....आ !
    पसर गया है
    बीच सड़क भूखा चौराहा
    उझक-उझक मुँह खोले
        भरम निपोरे
    निगल न जाए
    यह तलाश की कामधेनु को
आ, वामन होलें, चल जाएं.....आ !
आ, सवाल चुगें, अगियाएं.....आ !