भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आ दुलकल आब जाइ छै मोतीराम / मैथिली लोकगीत
Kavita Kosh से
मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
आ दुलकल आब जाइ छै मोतीराम
छोपहा तऽ आइ चौड़ीमे
आ दुबकल आइ जाइ छै हौ मामा
छोपहा तऽ आइ चौड़ीमे ने हय