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आ बैठ बात करां - 8 / रामस्वरूप किसान
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आ बैठ
बात करां
आगंणै-पसरयौ
मून भार बावळी !
बंतळ री
जाजम बिछावां
जुगां सूं
टाळयोड़ा सवाल नूंतां
जवाबां रौ पावर कूंतां
सेवट होणौं पड़सी
सांच रै अरू-बरू
किता‘क दिन
टाळस्यां उरां-परां
आ बैठ
बात करां।