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आ बैठ बात करां - 9 / रामस्वरूप किसान

आ बैठ
बात करां

आंतरौ भानां
नैड़ै आवां

जुगां रौ
उळझ्योड़ौ सूत
सुळझावां

तीर तो
घणां ई छूट्या
कमाण सूं

इत्ता कै
इब तो
लोही ईज
रैयग्यौ आण सूं

आ, बात नै साधां
एक-दूजै रै
पाटा बांधां
पीड़ हरां

आ बैठ
बात करां।