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इंतज़ार / अनिता मंडा
Kavita Kosh से
गाँव के बंद पड़े खंडहरनुमा घर
ख़ूब रोये हैं बरसात में
सीढ़ियाँ चढ़ देख रही है घास
शहर से लौटने वाली खाली पगडंडी।