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इंतजार / नंदा पाण्डेय
Kavita Kosh से
मेरे मन की उन सड़कों पर ,
जहाँ बेख़ौफ़ तुम्हारी "यादें"
टहला करती थी
आज न जाने कैसी गहरी खामोशी और
कितना गहरा सन्नाटा है वहाँ !
एक ख़याल जो पगडण्डी से उतर कर
दबे पाँव आता है ,और
मेरे मन के समीप से
गुजर जाता है !
तभी न जाने कहाँ से
कोई लम्हा तेज-तेज दौड़ते हाँफते हुए
आया और
मेरे मन के मोड़ पर लुप्त हो गया..!
कुछ यादें तो आज जैसे
मेरे मन को कुरेदकर
बहुत दूर पहुंचना चाहती है
शायद मेरी आत्मा तक !
न जाने क्यूँ आज वक़्त भी
किन्हीं अनबीन्हि भावनाओं के
धुंधलकों में खोया हुआ
एक उदास धुन की तरह
काँप रहा है !!
फिर भी
तुम्हारे इन्तजार में
आज एक बार फिर से
अपने मन की उम्मीदों भरी चादर पर
उषावर्णी सितारे टांक दिए हैं मैंने..!