इंद्रधनुष में जैसे रंग
ख़्वाब रहे हैं मेरे संग।
उस चेहरे ने दस्तक दी
तन-मन में भर गई उमंग।
प्रेम नगर मे पता चला
चाहत की गलियाँ हैं तंग।
मैं कुछ ऐसे तन्हा हूँ
जैसे कोई कटी पतंग।
ख़ुशबू ने फूलों से कहा
जीना-मरना तेरे संग।
लमहे में सदियाँ जी लें
हम तो ठहरे, यार, मलंग।