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इंसानों का काम / प्रभुदयाल श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
बल्ब फ्यूज था, हुआ अँधेरा,
हथनी थी घबराई।
चढ़ी पोल पर बल्ब बदलने,
नहीं बदल पर पाई।
बल्ब होल्डर छोटा-सा था,
सूंड मुटल्ली भारी।
काम नहीं पूरा हो पाया,
उतर आई बेचारी।
बल्ब लगाना बल्ब फोड़ना,
इंसानों का काम।
हथनी कैसे कर सकती थी,
इसको अपने नाम।