इर्द गिर्द हैं
साँसों की ये मशीने
इंसान कहाँ !
कुछ कम हो
शायद ये कुहासा
यही प्रत्याशा ।
सहम गई
फुदकती गौरैया
शुभ नहीं ये।
इर्द गिर्द हैं
साँसों की ये मशीने
इंसान कहाँ !
कुछ कम हो
शायद ये कुहासा
यही प्रत्याशा ।
सहम गई
फुदकती गौरैया
शुभ नहीं ये।