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इंसान कहाँ (हाइकु) / जगदीश व्योम




इर्द गिर्द हैं
साँसों की ये मशीने
इंसान कहाँ !


कुछ कम हो
शायद ये कुहासा
यही प्रत्याशा ।


सहम गई
फुदकती गौरैया
शुभ नहीं ये।