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इक ख़्वाब-सा वह दिल में उतरता दिखाई दे / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
इक ख्वाब-सा वह दिल में उतरता दिखाई दे।
यादों का कोई फूल महकता दिखाई दे॥
समझा न कोई दिलफ़रेब हुस्न की अदा
दरिया में जैसे झाँकता हँसता दिखाई दे॥
वो काँपने लगेगा अक्स आईने में भी
जिस पर हिजाब कोई लटकता दिखाई दे॥
इस इश्क़ की न पूछिये क्या-क्या अभी करे
ख्वाबों का कँवल रात में खिलता दिखाई दे॥
जलने लगे जो हिज्र भी आतिश-सा जिगर में
दिल आँच में उल्फ़त की सुलगता दिखाई दे॥