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इक झोंका हवा का हूँ मैं, तूफां तो नहीं / रमेश तन्हा
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इक झोंका हवा का हूँ मैं, तूफां तो नहीं
इंसां ही तो आखिर हूँ, यज़दां तो नहीं
गो अर्ज़-ओ-समा को नाप सकता हूँ, मुझे
अगले किसी लम्हे का भी इरफां तो नहीं।