भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

इक मुलाक़ात मुख़्तसर होगी / संजू शब्दिता

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

इक मुलाक़ात मुख़्तसर होगी
हाँ मगर रूह तक खबर होगी

हम ही हम होंगे उन नज़ारों में
आपकी जिस तरफ नज़र होगी

रात को यों ही बीत जाने दो
ख़्वाब देखेंगे जब सहर होगी

कुछ दिनों से तलाश में हैं हम
ढूंढते हैं ख़ुशी किधर होगी

मिन्नतें जो अधूरी रहती हैं
उन दुआओं में कुछ कसर होगी

आज भी रखते हैं खबर उसकी
जानते हैं वो बेख़बर होगी

ज़िन्दगी आ तुझे जी भर जी लूँ
तू कहाँ साथ उम्र भर होगी