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इचरज / कन्हैया लाल सेठिया

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छोड़‘र
गेला
चाल्यो सदा
ऊजड़
कोनी डरा सक्या
घणघोर जंगळ
डीघा डूंगर
उफणता समन्दर
हुवै अचरज
किंयां खोज लियो
गम्योड़ै नै मनैं
मंजल ?