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इचरज / मीठेश निर्मोही
Kavita Kosh से
झुर-झुर रोवै
फोयली
लाळां बरसावै
लाय।
पोतै नै
समझावै
दादौ
छींया मौत री
गांव-गळी।
दूजै ई दाड़ै
ऊठै सीढी
इचजर में
नुंवी पीढ़ी।
फोयली अर दादौ
यूं कीकर
समायगा ?