भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

इच्छा गाने की / सोमदत्त

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

भीतर के अंधेरे से
ख़ूब गहरे अंधेरे से
काले संगमरमर के ठोस अंधेरे से
आवाज़, बीज के अंधेरे की लय में
लहराती है
पानी की बारीक़ ऊपर उठती तरल गतिमय धार-सी
मन में
इच्छा गाने की