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इज़हारे-मुहब्बत की जो हिम्मत नहीं करते / अनिरुद्ध सिन्हा
Kavita Kosh से
इज़हारे-मुहब्बत की जो हिम्मत नहीं करते
वे लोग ज़माने से बग़ावत नहीं करते
खुशबू से जिन्हें इश्क़ है लुट जाते हैं, लेकिन
काँटों से किसी हाल में उल्फ़त नहीं करते
हर हाल में रिश्तों की ये सांसें रहे ज़िंदा
हम ज़ुल्म तो सहते हैं शिकायत नहीं करते
बेचैन बहुत होते हैं वो रातों में अक्सर
जो अपने उसूलों की हिफ़ाज़त नहीं करते
सचझूठ का अंदाज़ लगा लेते हैं हम भी
माना कि अदालत में वकालत नहीं करते