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इज़्ज़तपुरम्-28 / डी. एम. मिश्र
Kavita Kosh से
कल की दुर्घटना
मन-प्राण पर
उसके पक्का
बिठा गयी-
बाली उम्र की दहलीज से
अग्रगामी मार्ग
सँकरा ही नहीं खतरनाक भी है
बहशी दृष्टि में
मजे की चीज
सभ्यता के
शब्दों में
नारी सतीत्व
सॅजो पाना
कठिन है
व्यापकता का नारा है
सामना संकीर्णता से है