भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

इतनी हसीन इतनी जवाँ रात क्या करें / साहिर लुधियानवी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

इतनी हसीन इतनी जवाँ रात, क्या करें

जागे हैं कुछ अजीब से जज़्बात, क्या करें ?


पेड़ों के बाजुओं में महकती है चांदनी

बेचैन हो रहे हैं ख़्यालात, क्या करें ?


साँसों में घुल रही है किसी साँस की महक

दामन को छू रहा है कोई हाथ, क्या करें ?


शायद तुम्हारे आने से यह भेद खुल सके

हैराँ हैं कि आज नई बात क्या करें ?