भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

इब लुटेरे और कमेरा में बन्ध ग्या सै पाळा / बलबीर राठी 'कमल'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

इब लुटेरे और कमेरा में बन्ध ग्या सै पाळा
एक ओड़ होणा होगा अड़ै कोन्या बीच बिचाळा

चौगरदे तैं लुटण लाघरया कित-कित तैं समझावैं
तनै बावळा राखण खातर कितने पेच लड़ावैं
धरम-करम की बात करैं न्यों लूट कै खावैं
कुछ जात-पात की बात करैं न्यों तनै भकावण आवैं
इतणा प्यारा क्यों लागै सै तनै भकावण आळा

तेरे छोरे बणैं संतरी करड़ा हुकम बजावैं
उनके बेटे अफसर बण कल्बां में मौज उडावैं
कदे लड़ाई हो तै साबण पी कै घर आ जावैं
तेरे छोरे कट-कट मरज्यां देश का मान बढावैं
फेरे बी मालिक वहे देह्स के तों देश का किसा रूखाळा

बिना नौकरी तेरा छोरा छुरे चलाणा सीखै
बणै बिकाऊ झूठी साची बात बनाणा सीखै
बेईमानां की करै गुलामी हुकम बजाणा सीखै
पीसे आळे मस्टण्डां के नारे लाणा सीखै
मुफत की रोटी खाणा सीखै, पड़ज्या फेर कुढाळा

उन का धन तै रोज बधै तम होते जाओ कंगले
थारै कच्चे-पक्के ढारे उनके बढिया बंगले
सुख चाहवै तै अपणे आप नै नए रंग में रंग़ ले
क्योंकर अपणी लड़ै लड़ाई सीख थोड़ा सा ढंग ले
काम करणीयें तनै कदे तै हुकम सुणण का ढाला

इब इस दल-दल तैं लिकडन की तदबीर बनाणी होगी
जात-पात की बात छोड़ या बात पुराणी होगी
तों बी इब तै होज्या स्याणा या दुनिया स्याणी होगी
लूटणीयां की जब जाकै न खतम कहाणी होगी
कट्ठे मिलकै ललकारांगे फेर पाटैगा चाळा
ठाली बैठे ऐश करें उनके घर में धन माया
काम करणीयें तेरै घर टोटा हुऐ सिवाया
तनैं “ कमल” तैं पूछा कोन्या यो किसनै जाळ बिछाया
जिसमें फंस के तेरे जिस्सां की काळी होगी काया
घणी सदियां दुखी रह लिया ले ले ईब संभाळा