भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
इरादा नेक है गर तो वो बोले झूठ इतना क्यों / डी. एम. मिश्र
Kavita Kosh से
इरादा नेक है गर तो वो बोले झूठ इतना क्यों
निहत्थों से अगर सरकार डरती है तो ऐसा क्यों
अगर हिन्दू मुसलमां दोनों को एकसाँ समझते हो
तो मुझको ये बताओ दोनों को आपस में बांटा क्यों
शपथ लेते ही नेता अपना वादा भूल जाता है
मुझे कोई बतायेगा भला ऐसा वो बदला क्यों
हमारा वोट लेना था तो आया था हमारे घर
मगर कहकर पराया अब हमें देता है धोखा क्यों
तुम्हारे राज में भूखे हैं हम सोचा कभी तुमने
मगर जब हमने हक़ मांगा तो मारा हमको चांटा क्यों
अकेला जब कभी होता हूँ तो आँसू निकल आते
मुझे इस बात का ग़म है उसे अपना बनाया क्यों